कोई भी व्यक्ति शायद "शून्य" नहीं चाहता जीवन में और ना ही "शून्य" के साथ दिखना चाहता है, जहां "शून्य" की परिभाषा को असफलता से जोड़कर देखा जाता है वहीं "शून्य" के बिना किसी का अस्त्तित्व भी नहीं है क्योंकि शुन्य के बिना कोई भी गिनती पूर्ण नहीं हो सकती और यह भी निर्विवाद सत्य है कि शून्य से ही शिखर प्राप्त करने की यात्रा शुरू होती है, साथ ही इकाई शून्य के साथ से दहाई बनती है, दहाई शून्य के साथ से सैकड़ा बनती है, सैकड़ा शून्य के साथ से हजार बनता है, हजार शून्य के साथ लाख बनता है और यह अनंत तक ऐसे ही चलता रहता है इसलिए किसी की असफलता के आधार पर कभी किसी का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए क्योंकि कब, कौन, कहां अपनी क्षमताओं के आधार पर नया इतिहास रच दें, अत: व्यक्ति महत्वपूर्ण है ना कि उसका समय इसलिये व्यक्ति का सम्मान हमेशा करना चाहिए ।
S P SHARMA FOUNDATION
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